Pages

Friday 12 January 2018



चाणक्य की 10 बातें जो आपका जीवन बदल सकती है !

मुर्ख लोगो से कभी विवाद न करे :

चाणक्य कहते है कि हमें कभी भी मुर्ख लोगो के साथ विवाद नहीं करना चाहिए. मुर्ख लोगो के पास बिलकुल भी समझदारी नहीं होती अगर आप उनसे विवाद करेंगे तो नुकसान आपका ही होगा. ऐसे लोगो के साथ बहस होने पर आपकी इज्जत कम हो जाएगी. ऐसे लोग आपको मानसिक तौर पर कमजोर कर सकते है. मुर्ख लोगो से विवाद से बचना हो तो चुप रहे और अपने विवेक से काम ले. इसलिए कभी भी मुर्ख लोगो से विवाद न करे.

अपनी कमजोरी किसी को न बताये :

अधिकांश लोग अपने चहेतो को, अपने नजदीकी रिश्तो में अपनी कमजोरियां उजागर कर देते है जो उन्हें बाद में बड़ी महंगी पड़ जाती है. जब आपका जन्म होता है तब आप सिर्फ अकेले होते है. पैदा होते ही आपके सांसारिक रिश्ते शुरू हो जाते है. समय के साथ आप कई गहरे रिश्ते में बध जाते हो. ऐसे में हम अपनी कमजोरी अपने इन रिश्तो में बता देते है.
जो बाद में अन्य लोगो को भी पता चल जाती है. जो हमारे निजी जीवन के लिए ठीक नहीं होता. हर व्यक्ति की कोई न कोई कमजोरी जरुर होती है. ऐसे में कभी भी अपनी कमजोरी किसी को भी न बताये. चाहे वह आपका दोस्त या आपकी पत्नी ही क्यों न हो. अपनी आत्मा के सम्मान के लिए इससे बचे

आपका एक दोष आपके सभी गुणों को नष्ट कर सकता है :

जीवन में ऐसे बहुत से उदाहरण देखने को मिलते है जब लोगो के पास सुख – सुविधा, धन – वैभव होने के बावजूद भी वे कोई ऐसी गलती कर देते है जिनसे उनका स्वर्ग जैसा जीवन नरक बन जाता है. यह किस कारण होता है – हमारे एक दोष के कारण. भले ही आपमें बहुत से गुण हो. आपका व्यवहार अच्छा हो, आप दयावान हो, आप समाजसेवी हो या आप पैसे वाले हो.
आपकी समाज में बड़ी इज्जत है. लेकिन अगर आपके अंदर एक छोटा सा भी दोष होगा तो वह आपका जीवन बर्बाद कर देगा. दोष जैसे – नशेबाजी करना, अय्याशी करना, घमंड करना या जुआ खेलना. इसलिए खुद में झाँक कर देखे की आपके अंदर कोई दोष तो नहीं है. अगर है तो उसे त्याग दे. वरना आपकी मेहनत से बनायीं गई सारी इज्जत एक पल में ही मिटटी में मिल जाएगी.

धन को सोच – समझ कर खर्च करे :

यह वाक्य आपने जरुर सुना होगा कि ”धन है तो जीवन है” बिना धन के तो हम सब कंगाल है. बात बिलकुल पते की है. बिना धन के न इज्जत है न ही सुख – समृद्धि. धन हमारे जीवन में खास रोल अदा करता है. कई ऐसे लोग होते है जो इस धन का बड़ा दुरूपयोग करते है. वे बड़ी Mehnat से खून – पसीना लगाकर पैसा कमाते है और फिर उस पैसो को धुंए की तरह उड़ा देते है. अधिकतर लोग ऐसे मैंने देखे है जो दिनभर मजदूरी करते है और शाम होते ही शराब पीकर उस कमाई को बर्बाद कर देते है.
बर्बाद ही करना है तो फिर मेहनत करने का फायदा क्या ?. अगर आपके पास अधिक पैसा भी हो तो उसे भी Limit के साथ खर्च करे. समय का कुछ पता नहीं कि कब पलट जाए. आचार्य चाणक्य की यह लाइन याद रखे ” कुबेर भी अपने आय से ज्यादा खर्च करेगा तो कंगाल हो जायेगा “. इसलिए धन कमाए उसकी बचत करे और जब जरुरत हो तभी खर्च करे.

बदनामी से डरे :

आचार्य चाणक्य कहते है कि ” अपमानित हो के जीने से मरना अच्छा है. मृत्यु तो बस एक क्षण का दुःख देती है, लेकिन अपमान हर दिन जीवन में दुःख लाता है ”. हम सभी के अंदर बदनामी का डर होना चाहिए. अगर यह डर खत्म हो गया तो दुनिया बदहाल हो जाएगी. Jeevan का सबसे बड़ा दुःख बदनाम होना होता है. यह आदमी को जीते जी हर पल मरवाती है.
यह होता तब है जब हमारी आत्मा भी हमसे कहती है कि आप गलत हो और आपने गलत किया. ज़िन्दगी में कोई ऐसा काम न करे जिससे आपको पूरी ज़िन्दगी बदनामी से जीनी पड़े. एक बार अगर आप बदनाम हो गये तो फिर वापस आप लोगो की नजरो में पहले जैसे नहीं रहोगे. इसलिए जीवन में कोई भी बड़ा Step लेने से पहले हजार बार जरुर सोचे.

आलस्य को त्याग दे :

इस दुनिया में बस 20% लोग ही ऐसे होते है जो सफलता की केटेगरी में आते है. पर दूनिया में लोग तो 100% है तो आखिर ये 80% लोग सफल क्यों नहीं होते ? अब आप कहोगे की इन्हें अच्छी परवरिश मिली होगी या इनके बाप – दादा अच्छे घर से होंगे. नहीं गलत, आज ऐसे कई Example है जहाँ लोगो ने जमीन से आसमान की बुलंदियां छुई है.
ऐसे लोग जो गरीब जीवन जीते हुए बहुत अमीर बन गये. इन सब में एक बड़ा diffrence है आलस्य का. 80% लोग किसी को करने में आलस्य करते है वही 20% लोग उसी काम को बड़ा मन लगाकर करते है. इसलिए जीवन बेहतर और खुशहाल बनाना है तो आलस्य त्यागो और परिश्रम करना सीखो. याद रखो ” आलसी मनुष्य का कोई भी वर्तमान और भविष्य नहीं होता

जो बात न सुने उस पर विश्वास न करे :

आपने कई लोगो को देखा होगा जो आपके साथ बैठे रहते है. आपसे बाते करते है. आपने अपनी कोई महत्वपूर्ण बार रखी और वह उसे गौर से सुनने के बजाय अनदेखा करे तो समझ ले की यह इन्सान आपको धोखा जरुर देगा. ऐसे लोगो पर विश्वास करने से बचे. इन लोगो को सिर्फ वही बात बताये जिन्हें आप हर किसी के साथ शेयर कर सकते हो.
अपनी निजी या important बातो को ऐसे लोगो से करने से बचे. अगर आपने ऐसे लोगो को अपनी जरुरी बातें बता दी तो समझ लो की अब आपकी ये बातें निजी नहीं रही. ऐसे लोग इन बातो दूसरो को भी बता देते है. इन लोगो पर Vishvas न करे.

अपने से कम या ज्यादा प्रतिष्ठा के लोगो से दोस्ती न करे :

आचार्य चाणक्य कहते है कि ” कभी भी उनसे मित्रता मत कीजिये जो आपसे कम या ज्यादा प्रतिष्ठा के हों. ऐसी मित्रता कभी आपको ख़ुशी नहीं देगी ”. जो लोग आपसे कम प्रतिष्ठा रखते है उनसे अगर आप दोस्ती करोगे तो आप हमेशा परेशानी में ही रहेंगे. ऐसे मित्र आपसे हमेशा मदद की उम्मीद रखेंगे और आपका फायदा लेने की सोचेंगे. अगर आप कभी संकट में होंगे तो ऐसे मित्र आपकी कुछ help भी नहीं कर पाएंगे.
वही आपसे अधिक प्रतिष्ठा के लोगो से दोस्ती करने पर आप हमेशा अपने मित्र के साथ अपनी तुलना में लगे रहेंगे और आपके अंदर ईर्ष्या का भाव रहेगा. आप उसके सामने खुद को हमेशा छोटा समझोगे जो आके आत्मसम्मान के लिए ठीक नहीं है. अगर मुसीबत के समय कभी वह आपकी हेल्प न कर पाए तो आपको अपनी मित्रता पर गुस्सा आएगा. इसलिए इस बात का ध्यान रखे की आपका मित्र आपके लेवल का ही हो.

वर्तमान में जीवन बिताओ :

आचार्य चाणक्य कहते है ” हमें भूत के बारे में कभी भी पछतावा नहीं करना चाहिए, न ही भविष्य की चिंता होनी चाहिए. विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं ”. अगर आपको अपना जीवन सुखी जीना है तो हमेशा आज में जियें. आपके पास न तो आने वाला कल है और न हीं बिता हुआ कल. आपके पास बस एक ही चीज है वह है – आज. जो बीत गया उसके बारे में पछतावा करते रहोगे तो खुद को ही दुखी करोगे.
बिता हुआ कल अब याद करके वापस तो आने वाला है नहीं. इसलिए बीते कल के बारे में सोचना व्यर्थ है. अगर आप आने वाले कल के बारे में सोचते हो तो वह भी आपको चिंतित ही करेगा. भविष्य के बारे में सोचकर आप अपना आज ख़राब न करे. आपके पास सिर्फ अभी का पल है इसलिए इसे जियें. इस पल को ऐसे कार्य में लगाये जो आपके जीवन को बेहतर बनाये. आप अपने आज को सवारते रहो आपका आने वाला कल अपने आप सही होता जायेगा.

खुश रहना है तो लगाव से दूर रहे :

आप मानो या न मानो पर अधिकांश लोग आज खाने – पीने के लिए दुखी नहीं है बल्कि अपने रिश्तो के कारण दुखी रहते है. जिसका मन उसके साथ नहीं होता वह व्यक्ति दुखी रहता है और इस दुःख का कारण है – लगाव. आचार्य चाणक्य कहते है ” जो अपने रिश्तो के साथ अत्यधिक जुड़ा हुआ होता है, उसे भय और चिंता का सामना करना पड़ता है. सभी दुखों कि जड़ लगाव है ”.
जब आप किसी के साथ लगाव रखते हो तो आप माया – मोह के चक्र में फंस जाते हो और यही आपके दुखो का कारण होता है. चाणक्य की बातें वर्तमान माहौल में सटीक बैठती है. आजकल हमें देखने को मिलता है कि आज का युवा Relationship में रहने लगा है. अपनी नौजवानी की Age में वह रिश्ते में रहने लगा है और जब इस रिश्ते में थोड़ी सी भी आपसी खींचतान या झगड़ा होता है तो वह तनाव लेकर बैठ जाते है. उसे अपने पार्टनर को खोने का भय रहता है और इस चिंता में वह टेंशन में डूबा रहता है.
वे खुद के लिए जीने के बजाय आपसी लगाव में फंस जाते है. अगर यह लगाव नहीं होगा तो वह अपने लिए वक़्त निकालेगा. खुद को Improve करेगा और अपने करियर में सफल होएगा. इसलिए आपको अगर अगर खुश रहना है तो उस रिश्ते से बाहर निकलने की सोचे जिससे आपको बहुत ज्यादा लगाव है.
दोस्तों ! आपने इस आर्टिकल में आचार्य चाणक्य के चाणक्य नीति में बताई गई उन महत्वपूर्ण 10 बातो को पढ़ा जो आज हम और आप सभी लोग अपने जीवन में सामना करते है और जो जीवन की सच्चाई है. इस आर्टिकल से आपने बहुत कुछ सीखा होगा लेकिन सिर्फ सीखने से सब कुछ ठीक नहीं हो जाता. ठीक तभी होता है जब आप इन सीखी हुई बातो को अपने जीवन में भी उतारते है.
इसलिए इन 10 बातो को अपने जीवन में उतारे और अपने जीवन को बदल दे. मित्रो, आगे भी हम आपके साथ चाणक्य की कई जरुरी बातो को शेयर करते रहेंगे. आप नयीचेतना के साथ जुड़े रहे और खुद को बनाये और भी बेहतर.

1 comment: